विभिन्न बोलियों में जो लोक साहित्य रचा गया है लोक-संस्कृति का मूल वहाँ है और समग्र लोक साहित्य से भारतीय संस्कृति निर्मित हुई है।
लोक-संस्कृति कभी भी शिष्ट समाज की आश्रित नहीं रही है, उलटे शिष्ट समाज लोक-संस्कृति से प्रेरणा प्राप्त करता रहा है।
-डा० जगदीश व्योम
लोक-संस्कृति कभी भी शिष्ट समाज की आश्रित नहीं रही है, उलटे शिष्ट समाज लोक-संस्कृति से प्रेरणा प्राप्त करता रहा है।
-डा० जगदीश व्योम
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