Wednesday, August 22, 2018

लोरी


 "हमारे अलंकार शास्त्रों में नौ रसों का उल्लेख है, पर लोरियों में जो रस प्राप्त होता है, वह शास्त्रोक्त रसों के अन्तर्गत नहीं है। अभी-अभी जोती हुई जमीन से जो गंध निकलती है, या शिशु के नवनीत कोमल देह से जो स्नेह को उबाल देने वाली गंध है, उसे फूल, चन्दन, गुलाबजल, इत्र वा धूप की सुगंध के साथ एक श्रेणी में रखा नहीं जा सकता। सभी सुगंधों के मुकाबले में उसमें एक अपूर्व आदिमता है, उसी प्रकार लोरियों में एक आदिम सुकुमारिता है, जिसकी मधुरता को बाल्यरस नाम दिया जा सकता है। यह तीव्र नहीं है, गाढ़ नहीं है, वह बहुत ही स्निग्ध, सरस और युक्ति तथा संगीत से हीन है।............... रुचि भेद के कारण संभव है कि सबको न भाये, पर इनको स्थायी रूप से संग्रह करके रखना चाहिए, इस सम्बंध में शायद दो राय नहीं हो सकती। यह हमारी राष्ट्रीय सम्पत्ति है।" 

-[ प्रस्तावना, बेला फूले आधी रात से ]


No comments: